मानसिक रोगी ने कई मरीजों का किया इलाज, कहा- मैं एम्स का डॉक्टर हूं, अंग्रेजी सुन लोगों के उड़ गए होश

छतरपुर. मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है। यहां एक मानसिक रोगी ने कई लोगों का इलाज कर दिया और किसी को भनक भी नहीं लगी। दरअसल, जिला अस्पताल की ओपीडी में सोमवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब पता चला कि एक डॉक्टर के चैंबर में एक मानसिक रोगी व्यक्ति लोगों का उपचार कर रहा हैं। मानसिक रोगी ने एक दर्जन से अधिक मरीजों का परीक्षण कर दवाइयां भी लिखी। मामले की भनक लगते ही उक्त व्यक्ति को वहां से भगाया गया। मानसिक रोगी खुद को एम्स का डॉक्टर बता रहा था औऱ इस दौरान वो अंग्रेजी में बात कर रहा था।


मरीजों को लिखी दवाई
ओपीडी के समय जिला अस्पताल में काफी भीड़ थी। स्टाफ से लेकर डॉक्टर्स तक ओपीडी में व्यस्त थे। चैंबर नंबर 20 में डॉ. हिमांशु बॉथम बैठते हैं लेकिन ड्यूटी पीएम में लगी होने के कारण कैबिन खाली था। इसमें अचानक से मरीजों की लाइन लग गई। लोग और स्टाफ इससे पहले कुछ समझ पाते मरीजों का उपचार शुरू हो गया। डॉक्टर की कुर्सी पर बैठे व्यक्ति को पहचाने बिना की लोग पर्चा दिखाते गए, हाल बताते गए। मानसिक रोगी मरीजों को दवाइयां लिखता गया।




ऐसे पकड़ में आया मानसिक रोगी डॉक्टर


एक के बाद एक लाल पेन से लिखे पर्चे जब सरकारी मेडिकल में पहुंचे। जिसमें दवाइयां, अस्पताल में मौजूद दवाइयों से अलग और गलत लिखी हुई थी। इसे लेकर मेडिकल में मौजूद अनूप शुक्ला को शक हुआ और उन्होंने पहले तो पर्चा लाने वाले से पूछा की कितने नंबर के कैबिन में दिखाया है। दवाई लेने पहुंचे लोगों ने कहा- 20 नंबर में। जब मेडिकल वाला कैबिन नंबर 20 में पहुंचा तो देखा कि एक मानसिक रोगी व्यक्ति डॉक्टर बनकर लोगों का परीक्षण कर रहा था। जिसे पकड़कर तत्काल ही बाहर किया गया। यह सुनकर लाइन में खड़े मरीज भी सतर्क हो गए।


मरीज हो रहे थे परेशान, चैंबर खाली था तो उपचार कर दिया, क्या गलत किया
अस्पताल में फर्जी और मानसिक रोगी का ठप्पा लगने के बाद बाहर किए गए व्यक्ति से पत्रिका ने जब बात की तो वह किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की तरह ही पेश आया। उसने अपना नाम डॉ. वीर बहादुर बताया और स्वयं दिल्ली एम्स का डॉक्टर बताया। दवाइयां गलत लिखने की बात कहा कि 100 प्रतिशत गारंटी देता हूं, चेक करा लीजिए। एक भी पैसेंट को गलत दवाइयां नहीं लिखी गई। ओपीडी में क्यों बैठ गए पर उसका कहना था कि मरीज परेशान हो रहे थे। चैंबर में कोई डॉक्टर नहीं था तो मैंने की लोगों का उपचार कर दिया, क्या गलत किया।




फर्राटेदार अंग्रेजी में कर रहा था बात


खुद को डॉक्टर बताने वाला व्यक्ति अंग्रेजी में भी बात कर रहा था। पत्रिका ने जब अंग्रेजी में कुछ सवाल किए तो उसका कहना था कि वह अस्पताल में स्टडी करने के लिए आया था, लेकिन समस्या दिखी। वह इसके लिए अधिकृत है, लेकिन पत्र नहीं दिखा सकता।