छोड़ दो किस्मत की लकीरों पे यकीन करना,
जब लोग बदल सकते हैं तो किस्मत क्या चीज़ है।
चुनौतियों को स्वीकार करो, क्योकि
इससे या तो सफलता मिलेगी या शिक्षा।
ज्यादा ख़्वाहिशें न रखिये जिंदगी से,
बस अगला कदम पिछले से बेहतरीन होना चाहिए।
सेवा सभी की करना मगर आशा किसी से भी न रखना, क्योंकि
सेवा का वास्तविक मूल्य भगवान ही दे सकते है, इंसान नहीं।
समय न लगाओ तय करने में, की
आपको क्या करना है, वरना
समय तय कर लेगा, की आपका क्या करना है।

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औरतो को देने वाले उपहार में सबसे बेहतरीन उपहार है,
उसका आदर करना, जो हर को ही नसीब नहीं होता।
दूसरों को इतनी जल्दी माफ कर दिया करो,
जितनी जल्दी आप उपरवाले से,
अपने लिए माफी की उम्मीद रखते हो।
अपने शब्द प्रयोग पे ध्यान दीजिये क्यूंकि,
लडी और तलवार से सिर्फ हड्डिया टूटती है।
परंतु शब्दों के प्रहार से अक्सर रिश्ते टूटते है।
जिस दिन हमारे सिग्नेचर, ऑटोग्राफ में बदल जाएं,
मान लीजिए आप कामयाब हो गए।
ज़िन्दगी तमाशा है और इस तमाशे में,
खेल हम बिगाड़ेंगे, खेल को बनाने में,
कारवां रुके तो उनका भी कुछ ख्याल आता है,
जो सफ़र में पिछड़े हैं, रास्ता बनाने में!